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मीरानपुरा राजा मोहम्मद रज़ा मस्जिद में दो दिवसीय मजालिस को संबोधित किया मौलाना सैय्यद मैहताब हुसैन बलरामपुरी ने!

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बच्चों के लिये पिता की अज़मत:और पिता का त्याग अनमोल है,मौलाना सैय्यद मैहताब हुसैन बलरामपुरी

टांडा अम्बेडकरनगर ! जनपद की तहसील टांडा के मोहल्ला मीरानपुरा निवासी स्वर्गीय डॉक्टर सैय्यद कौसर हुसैन पुत्र स्वर्गीय मुनीर हसन,के छमाही की मजलिस को मौलाना सैय्यद मैहताब हुसैन बलरामपुरी ने सम्बोधित

किया उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा – पिता के मरने के बाद,बेटों को अक्सर एहसास होता है कि उनके पिता ने उनके लिए कितना कुछ किया था। पिता की अज़मत को समझने के लिए हमें उनके जीवन में किए गए त्याग, बलिदान, और संघर्षों को देखना होगा।

पिता का प्यार और मार्गदर्शन हर बेटे के लिए अनमोल है। पिता अपने बेटों को जीवन के हर पहलू में सही मार्ग दिखाने की कोशिश करता हैं। वह अपने अनुभवों और ज्ञान को अपने बेटों के साथ बांटता हैं और उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता हैं।

पिता का त्याग और बलिदान हर बेटे के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। पिता अपने परिवार के लिए हर तरह का त्याग करने को तैयार रहता हैं। वह अपने बेटों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन -रात काम करता हैं और उनकी खुशी में अपनी खुशी ढूंढता हैं।

पिता के दुनिया से जानें के बाद, बेटों को पिता की याद में जीने की कोशिश करनी चाहिए। पिता की याद में जीने से हम उनके आदर्शों और मूल्यों को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश कर सकते हैं।

वही दूसरे दिन दूसरी मजलिस मोहम्मद रजा़ मस्जिद में महरूमा सैय्यद नजबुल बीबी बिनते महरहूम सैय्यद खुसरो के इसाले सवाब की मजलिस को मौलाना सैय्यद मैहताब हुसैन बलरामपुरी ने सम्बोधित करते हुए कहा। 

 मॉ की अज़मत एक ऐसा विषय है जो हर किसी के दिल को छूता है। मॉ का प्यार, ममता, और समर्पण हर किसी की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मॉ की अज़मत को समझने के लिए हमें उनके जीवन में किए गए संघर्षो को देखना होगा।

मॉ का प्यार और ममता हर किसी के लिए अनमोल है। मॉ अपने बच्चों के लिए हर तरह की कुर्बानी देने को तैयार रहती है। वह अपने बच्चों की हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश करती है। और अपने बच्चों की खुशी में अपनी खुशी ढूंढती है।

मॉ की अज़मत का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। हमें मॉ के प्रति अपने प्यार और सम्मान को व्यक्त करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। मॉ की अज़मत का सम्मान करने से हम अपने परिवार और समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

साथ ही उन्होंने कहा और अगर मॉ दुनिया को अलविदा कह जाए तब उसके हर एक संघर्ष और बच्चों के लिये किया गया त्याग बच्चों को जरूर याद आता है और जीवन भर मॉ की याद दिलों में बसी रहती है, अंत में मौलाना सैय्यद मैहताब हुसैन बलरामपुरी ने

कर्बला के मसायब को बयान किया दो दिवसीय मजालिस का आयोजन सैय्यद शाहिद रजा़ एडवोकेट, और सैय्यद आबिद रज़ा शीबू ने आयोजित किया बात मजलिस समापन के मजलिस में पहुंचे जायरीनों के लिये भोजन की व्यवस्था की गई थी।

मजलिस में मुख्य रूप से मौजूद रहे सैय्यद काजि़म रज़ा आब्दी नजमी भाई, सैय्यद जाफर रज़ा परवेज़ भाई, सैय्यद रेहान रज़ा आब्दी, सैय्यद अलीशान रज़ा आब्दी, सैय्यद रिज़वान हुसैन, सैय्यद आरिफ हसन, सैय्यद आसिफ हसन,

सैय्यद दानिश मेंहदी, सैय्यद अज्जें भाई दहियावरी, सैय्यद शफी हसन, सैय्यद साकिर हुसैन नम्मू, सैय्यद सईद हसन एडवोकेट, सैय्यद फिरोज अहमद नसीराबादी, सैय्यद वजीहुल हसन एडवोकेट, सैय्यद मोअज्जम,

सैय्यद सोजेब, इसरार हुसैन, सैय्यद आबिद, साजिद हुसैन, मुन्ना ट्रेलर्स, शालू, मैहताब मिर्जा, अबुज़र, सैय्यद साहिल, आदि अंजुम हुसैनिया मीरानपुरा और अंजुम सिपाहे हुसैनी हयातगंज के समस्त मिम्बरान उपस्थित रहे।

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