रिपोर्ट मोहम्मद राशिद-सैय्यद
अम्बेडकर नगर!टाण्डा में ईद मिलन समारोह के अवसर पर आयोजित मुशायरे में कवियों ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया।
इस अवसर पर अधिवक्ता संघ टाण्डा के अध्यक्ष मुकीम अहमद शेख और कमर जीलानी ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। मुशायरे में मुख्य रूप से डॉक्टर दस्तगीर, इंसाफ टांडवी, कुमैल सिद्दीकी,
हकीम इरफान, शाहिद शादानी, तालिब रहमानी, कमर जीलानी, अहमद सईद, अजय प्रताप श्रीवास्तव, अब्दुल माबूद, जमुना प्रसाद ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत किया।
मुशायरे की कुछ चुनिंदा पंक्तियां
“कहीं पे कीर्तन, कहीं पे अज़ान होती है, उसी की शान मुसलसल बयान होती है” – कुमैल अहमद सिद्दीकी
“माँ को तुम प्यार से पुकारो तो, लाख रूठी हो मान जाती है” – इंसाफ टांडवी
“मैं कुछ कहूंगा तो वोह मुझको मार डालेगी, कि मेरी बीबी छूरी और ड्राम रखती है” – तालिब रहमानी
“मैं तुझसे ईद मुबारक कहूँ तो कैसे कहूँ, मेरी ज़बान में रंजो अलम के छाले हैं” – सईद टांडवी
मुशायरे में मुख्य रूप से डॉक्टर दस्तगीर ,इंसाफ टांडवी, कुमैल सिद्दीकी, हकीम इरफान, शाहिद शादानी, तालिब रहमानी, कमर जीलानी,अहमद सईद, अजय प्रताप श्रीवास्तव,
अब्दुल माबूद , जमुना प्रसाद ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत किया।इसी क्रम में इंसाफ टांडवी ने अपने कलाम में पढ़ा कि “माँ को तुम प्यार से पुकारो तो, लाख रूठी हो मान जाती है
” तालिब रहमानी ने पढ़ा कि “मैं कुछ कहूंगा तो वोह मुझको मार डालेगी, कि मेरी बीबी छूरी और ड्राम रखती है “सईद टांडवी ने पढ़ा कि “मैं तुझसे ईद मुबारक कहूँ तो कैसे कहूँ , मेरी ज़बान में रंजो अलम के छाले हैं
“कमर जीलानी ने पढ़ा कि “कह रहे हैं यही बूढ़े बच्चे जवां, मेरे मौला बचा मेरा हिन्दोस्तां” इसी क्रम में शाहिद शादानी ने पढ़ा कि “मैं राँझा बन गया तेरा,तू मेरी हीर बन जाये,खुदा से ये दुआ है तू मेरी तकदीर बन जाये,ज़रा
आवारगी देखो मेरी बेबाक चाहत की,मैं कागज़ पर कलम रखूं तेरी तस्वीर बन जाये”इनके अलावह अधिवक्ता कल्याण समिति के अध्यक्ष सत्य प्रकाश मौर्य,
शासकीय अधिवक्ता जावेद सिद्दीकी, पूर्व अध्यक्ष शेर बहादुर सिंह,मोहम्मद अकबर, अभिमन्यु यादव आदि ने मुशायरे में अपना वक्तव्य पेश किया।इस दौरान अधिवक्ता गण, टाइपिस्ट, मुंशी,वादकारी गण भारी संख्या में मौजूद रहे।