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हीटवेव (लू) से कैसे करें बचाव” हीटवेव की स्थिति इससे पड़ने वाला प्रभाव जानिए इस खबर में!

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अम्बेडकरनगर! हीटवेव की स्थिति शरीर की कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान देना आवश्यक है:

सावधान रहें
 प्रचार माध्यमों से हीटवेव/लू के संबंध में जारी की जा रही चेतावनी पर ध्यान दें। हीट स्ट्रोक (लू लगना) के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, उबकाई, घबराहट, धड़कन और सांसों में तेजी, मूर्छा आदि को पहचानें।

यदि उपरोक्त किसी भी लक्षण एवं हीट रैश (घमोरिया) और हीट क्रैम्प (मांसपेशियों में ऐंठन) का अनुभव करते हैं, तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।

हाइड्रेटेड रहें
अधिक से अधिक पानी पिएं, यदि प्यास न लगी हो तब भी पानी अवश्य पिएं। घर से बाहर जाते समय पीने का पानी साथ लेकर जाएं। ओ.आर.एस, घर में बने हुए पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माड़), नींबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें।

जल की अधिक मात्रा वाले मौसमी फल एवं सब्ज़ियों जैसे तरबूज, खरबूज, संतरे, अंगूर, अनानास, खीरा, ककड़ी, सलाद पत्ता (लेट्यूस) इत्यादि का उपयोग करें।

शरीर को ढक कर रखें
हल्के रंग के हल्के वस्त्र पहनें।
अगर आप खुले में कार्य करते हैं, तो धूप से बचाव के लिए शरीर को ढक कर रखें। सिर ढकने के लिए छाता, टोपी, तौलिया, गमछा आदि का प्रयोग करें।

धूप में जाते वक्त आँखों की सुरक्षा के लिए धूप का चश्मा पहनें एवं पैरों के बचाव के लिए जूते/चप्पल का प्रयोग करें। घर और कार्यालय में रहें

यथासंभव अधिक से अधिक अवधि के लिए घर, कार्यालय इत्यादि के अंदर रहें। उचित वायु संचरण वाले शीतल स्थानों पर रहें। सूर्य की सीधी रोशनी तथा शुष्क हवा को रोकने हेतु उचित प्रबंध करें।

अपने घरों को ठंडा रखें, दिन में खिड़कियां, पर्दे तथा दरवाजे बंद रखें। घर/कार्यस्थल से बाहर किए जाने वाले कार्यों को सुबह और शाम को करने की यथासंभव कोशिश करें। जानवरों को छायादार स्थानों पर रखें तथा उन्हें पर्याप्त पानी पीने को दें।

उच्च जोखिम समूहों के लिए निर्देश
उच्च जोखिम वाले समूह जैसे कि एक वर्ष से कम आयु के शिशु तथा अन्य छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बाहरी वातावरण में कार्य करने वाले व्यक्ति, बीमार व्यक्ति विशेषकर हृदय रोगी अथवा उच्च रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्ति।

इस समूह के लोग सामान्य आबादी की तुलना में हीटवेव (लू) के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं।
इन समूहों के बचाव पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता होती है।

अन्य सावधानियां
ऐसे बुजुर्ग तथा बीमार व्यक्ति जो अकेले रहते हों, उनकी नियमित रूप से देखभाल की जानी चाहिए।
घरों को ठंडा रखें, दिन के समय पर्दे, खिड़कियां, दरवाजे इत्यादि बंद रखें तथा रात को खिड़कियाँ खोल लें।
 शरीर के तापमान को कम रखने के लिए पंखे, गीले कपड़े इत्यादि का प्रयोग करें।

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