रिपोर्ट मोहम्मद राशिद-सैय्यद
अम्बेडकरनगर जनपद की तहसील टाण्डा में स्थित महामाया एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर एक बार फिर से घिरा विवादों के घेरे में जहां एक 22 वर्षीय
महिला सकीना खातून पुत्री मोहम्मद नसीम उर्फ अबू तलहा निवासी ग्राम आसोपुर नई बस्ती डिहवा टांडा जनपद अंबेडकर नगर की मौत हो गई। महिला के परिजनों का आरोप है। कि उन्होंने अपनी बेटी को इलाज के लिए
महामाया मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर में बीते मंगलवार को समय प्रातः लगभग साढ़े 11 बजें के आसपास इलाज के लिये भर्ती कराया था, लेकिन वहां उसे देखने के लिए कोई डॉक्टर नहीं आया,
यहां तक की मरीज़ को वीवो लगना था जो मृतका के पास ही रखा रह गया भर्ती मरीज को कोई भी डॉक्टर देखने तक नहीं पहुंचा और शाम तक उसकी मौत हो गई! जहां हम आपको बता दें
इस घटना के बाद परिजनों में चीख-पुकार मचा गई जिसके काफी देर बाद पुलिस को सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने आनन-फानन में मृतका को घर के लिए रवाना कर दिया गया।
बहरहाल इस घटना से महामाया एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर की व्यवस्था पर सवाल उठाता है, जो हमेशा विवादों के घेरे में रहता है। महामाया मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर की व्यवस्था वर्तमान समय में चरमराई गई है जिसकी लगातार मेडिकल कॉलेज में पहुंचने वाले मरीजों के मुंह से सुनने को मिलती है।
जहां डॉक्टर और कर्मचारी अपनी मनमानी करते नज़र आते हैं। इस घटना से कही न कही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के चिकित्सा की गंभीरता पर सवाल पैदा होता है,
जो मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर तरह तरह के दिशानिर्देश जारी करते है और व्यावस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त रखने का निर्देश जारी करते नज़र आते है लेकिन इसके बाद भी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के डाक्टरों की कार्यशैली व व्यावस्थाओं पर सवाल उठ रहे है।
अब सवाल यह है की आखिर जिम्मेदारानों द्वारा समय समय पर अस्पतालो और मेडिकल कॉलेजों की व्यावस्थाओं की जांच क्यों नहीं की जा रही है और अगर जांच करने के बावजूद आदेशो और निर्देशों का आखिर पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। मरीजों और उसके तिमारदारों को लगातार असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि अम्बेडकरनगर जनपद के जिलाधिकारी अविनाश सिंह स्वास्थ्य चिकित्सा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिये लगातार निर्देश जारी करते है। लेकिन मेडिकल कॉलेज,व सरकारी अस्पतालों के जिम्मेदारानों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती
जो अपने आप में सोचिए विषय है कहते है डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता अगर ऊपर भगवान है तो नीचे डॉक्टर है जिनको बिना भेदभाव के किसी के भी मरीज के जीवन को बचाने महत्वपूर्ण भूमिकाएं होनी चाहिए।
लेकिन अगर वही डॉक्टर किसी कारण वश चाहे वो मरीज के गम्भीर बीमारी से पीड़ित होने के कारण या अन्य किसी कारण वश डॉक्टर अगर मरीज को देखने नही पहुंचता तो ये कही न कही सिस्टम की बड़ी लापरवाही को दर्शाती है।
इस घटना को लेकर मेडिकल में भर्ती मरीजों में चर्चा का विषय बना रहा की जब भर्ती मरीज को देखने के लिए कोई भी डॉक्टर नही पहुंचेगा और मरीज़ की मौत हो जाएगी की तो कही ना कही
आक्रोश में मरीज़ को चाहने वाला या उसके परिजन का कोई न कोई व्यक्ति आक्रोश में अपना आपा खो ही देगा और तोड़फोड़ करेगा ही क्योंकि उसने अपनो को खोया है। जिसका दर्द वही जान सकता है। बहरहाल यह भी कही ना कही मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदारानो की लापरवाही का कारण है।