मुख्य विंदू
अवैध स्कैन सेंटर और क्लीनिक धड़ल्ले से संचालित?.. विभागीय सेटिंग?… सूचना लीक होने के गंभीर आरोप?.. नर्सिंग होमों में नियमों की उड़ाई जा रही है धज्जियाँ?..
बिना डिग्रीधारी के कर रहे इलाज?.. मोटी फीस और शोषण से परेशान गरीब जरूरतमंद मरीज?.. IAS ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रतीक्षा सिंह की कार्रवाई बनी सराहनीय मिसाल!
अम्बेडकरनगर। जनपद सहित जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में अथर्व स्कैन सेंटर जैसे अनेक सेंटर, डायग्नोसिस सेंटर बिना पीसीपीएनडीटी एक्ट के संचालित है साथ ही नर्सिंग-होम और क्लीनिक लंबे समय से अवैध रूप से संचालित होने की सूत्रों द्वारा मिल रही हैं
जानकारी?.. बहरहाल हाल ही में IAS ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रतीक्षा सिंह ने स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ औचक छापा मारकर अथर्व स्कैन सेंटर को सीज किया गया। इस कार्रवाई से अवैध रूप से संचालित हो रहे अन्य सेंटरों की हकीकत भी उजागर होने लगी है?..
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इसी प्रकार छापेमारी पूरे जनपद में और जनपद के विभिन्न कस्बों में की जाए तो कई अवैध स्कैन सेंटर डायग्नोसिस सेंटर और नर्सिंग होमों एवं क्लीनिकों पर ताले लग सकते हैं?..
लेकिन सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग ऐसा कैसे कर पाएगा, जब विभाग के ही कुछ लोग छापेमारी की सूचना पहले से ही अवैध संचालकों तक पहुँचा देते हैं?.. हॉल ही में इस तरह का सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक
तथाकथित डेंटल चिकित्सक ने खुलेआम दावा किया है?.. कि हमारी सेटिंग है?.. चेकिंग से पहले हमें सूचना मिल जाएगी?.. यह वीडियो स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है?..
प्राप्त जानकारी सूत्रों के अनुसार जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे कई नर्सिंग होम, डाइग्नोसिस सेंटर, बल्ड जांच सेंटर, नर्सिंग-होम, व क्लीनिक संचालित हो रहे हैं?..
जिनके पास कागज़ात ही मुकम्मल नहीं हैं?… बावजूद इसके, वे न केवल चल रहे हैं बल्कि अपने भवन का विस्तार और सौंदर्यीकरण भी करा रहे हैं?..
कई नर्सिंग-होमों और क्लीनिकों पर नेमप्लेट किसी डिग्रीधारी डॉक्टर का लगा हुआ होता है लेकिन इलाज कोई और डॉक्टर करता है?..
कुछ तो यूनानी पंजीकृत करा कर क्लीनिक पर एलोपैथिक दवाएँ तक चला रहे हैं?.. कई प्राइवेट क्लीनिकों पर 500 रुपये सिर्फ़ परामर्श शुल्क है, और यदि मरीज को कुछ घंटों के लिए भर्ती कर लिया जाए नेबुलाइजर वगैरा लगा दिया जाए तो 5000 रुपये से अधिक का बिल वसूल लिया जा रहा है?..
ऐसी लापरवाही और शोषण के कारण कई बार गरीब परिवारों को इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता है या अपनी संपत्ति तक बेचनी पड़ती है?..
कुछ लोगों के घरों के मरीज रूपये न होने के कारण परलोक भी सिधार जुके है?.. लेकिन किसी डॉक्टर को इससे क्या मतलब उन्हें कोई फर्क नही पड़ता उनकी पाकेट भर रही है?..
ज़रूरी है व्यापक कार्रवाई
हाल ही में IAS ज्वाइंट मजिस्ट्रेट की सख़्त कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। जनता का मानना है,
कि यदि इसी तरह से सभी स्कैन सेंटर, डायग्नोसिस सेंटर, लैब व ब्लड जांच केंद्र, नर्सिंग होम और क्लीनिकों की जांच की जाए तो अवैध कारोबार पर नकेल कसी जा सकती है?..



