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नगर पालिका टाण्डा में गुटबाजी का असर, क्या होगा नगरक्षेत्र के विकास कार्यों का?

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नगर क्षेत्र के विकास कार्यों पर पड़ सकता है: असर” उत्तर प्रदेश सरकार के स्मार्ट सिटी बनाने के सपनो पर पलीता” जिम्मेदार कौन?

अम्बेडकरनगर : अयोध्या मंडल की ए श्रेणी की सुप्रसिद्ध चर्चा में रहने वाली नगर पालिका परिषद टाण्डा के सभासदों के बीच गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है? जिसका असर अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी पड़ने लगा है। इंजीनियर द्वारा तीन सभासदों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है!

वहीं चेयरमैन ने जेई पर अनुशासनहीनता का नोटिस जारी किया है। सभासदों और उनके समर्थकों ने धरना प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है? क्योंकि उनकी शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है?

नगर पालिका में गुटबाजी के कारण अधिकारियों और कर्मचारियों पर दबाव बढ़ गया है? वही नगर पालिका परिषद टाण्डा में तैनात निर्माण जेई और सभासदों के बीच भी मतभेद सामने आ रहे हैं?

जिसका खामियाजा नगर पालिका के विकास कार्यों को भुगतना पड़ सकता है? वही नगरवासियों में चर्चा  का विषय बना हुआ है कि निकाय चुनाव के दरमियान नगर क्षेत्र सहित नगर के सभी वार्डों की समस्या के निपटारे के लिए वे अपने आपने मुताबिक सभासद को चुनकर जीताकर

मेहनत मशक्कत से नगर पालिका तक पहुंचाते है और वही वैश्विक महामारी कोरोनाकॉल से अब तक नगर पालिका परिषद टाण्डा में सभासदों के दो गुट व आपसी विरोधाभास के चलते नगरवासियों में चर्चा है कि पूर्व चेयरमैन रेहाना अंसारी पर इसका गहरा असर पड़ा?

और वह डिप्रेशन में चली गई ? जिसके बाद उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया? जहां लम्बे समय तक लखनऊ के सहारा हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई और उन्होंने समय से पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया?

लेकिन तब से अब तक नगर पालिका परिषद टाण्डा में सभासदों में आपसी विरोधाभास नही समाप्त हो सका? जिसका फायदा नगर पालिका में तैनात कुछ अधिकारी और कर्मचारी आसानी से उठा रहे है?

लेकिन इसका खमियाजा नगरक्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ रहा है? सभासदों के आपसी मतभेद के चलते यह सब हो रहा है? उक्त बातें मै स्वयं से नही लिख रहा हूं बल्कि नगरक्षेत्र के चायखानो से लेकर नगर के गलियारों मे चर्चा हो रही है की

सभासदों की यूनिटी न होने का फायदा विभिन्न जनपदों से ट्रांसफर होकर यहा आए अधिकारी और कर्मचारी उठा रहे है? और लगातार सभासदों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर उन्हें नर्बस कर दिया जा रहा है? जिससे वह किसी पर अपना दबदबा न बना सके?

और नगरक्षेत्र के विकास के बजाय वह अपनी समस्या में उलझकर रह जाए? यह मै स्वयं से नही कह रहा हूं और ना लिख रहा हूं बल्कि नगरक्षेत्र की जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है? कि अगर ऐसा होता रहा तो पूरे पांच वर्ष तक नगर क्षेत्र के विकास पर विराम लग सकता है?

और नगरक्षेत्र में विकास के नाम पर निलबटा सन्नाटा नज़र आयेगा? और फिर से निकायक चुनाव का समय आ जाएगा बहरहाल समय रहते यदि सभासदों मे आपसी विरोधाभास और मतभेद नही समाप्त हुआ तो धीरे-धीरे नगर पालिका परिषद टाण्डा में सभासदों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

सभासद मास्टर मोहम्मद तारिक, आषीश कुमार यादव, और दशरथ मांझी ने कहा नगर पालिका परिषद टाण्डा में तैनात निर्माण जेई नितेश कुमार मौर्या ने मामूली बात छोटे से निर्माण कार्य के सम्बन्ध में नगर पालिका अध्यक्ष के पूछने पर

जेई द्वारा उनसे ऊंच लहजे में बात करने का हम लोगों ने विरोध किया था। सभासद दशरथ मांझी का आरोप है जेई द्वारा उनसे जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया गया और कहा गया की तुम्हारे जैसे मांझी मझवार से मै बात नही करूंगा तुम्हारी क्या औकात है वगैरा वगैरा जातिसूचक शब्द

कहकर जाने लगे हालांकि हम लोगों ने उनसे बैठकर शांतिपूर्वक वार्ता करने के लिये कहा लेकिन वह बाहर चले गए और दूसरे दिन हम तीनो सभासदों पर फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया?

जिसके उपरांत जेई द्वारा चेयरमैन का आफिस बिना चेयरमैन की अनुमति के कर्मचारी से जबरदस्ती खुलवा कर अनुशासनहीन कार्य किया। जिसके सम्बन्ध में अध्यक्ष द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी की गई है!

और वही टांडा कोतवाली में जेई की तहरीर सभासदों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। साथ ही सभासद दशरथ मांझी ने बताया क्षेत्राधिकारी टाण्डा द्वारा अध्यक्ष शबाना नाज़ से फोन पर वार्ता कर जानकारी लिया जिस पर अध्यक्ष ने बताया कि जेई से कोई मारपीट या अभद्र भाषा का प्रयोग नही किया गया है!

बल्कि छोटे से निर्माण के लिये सिर्फ कहा सुनी हुई है जिसके बाद भी देर शाम को जेई की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया। जिसमें धारा 351 किसी को गम्भीर चोट पहुंचाना या किसी संपत्ति को आग लगाना

फाड़चीड़कर फेकना अपराधिक धमकी देना,
धारा 352 में गम्भीर उकसावे अपराधिक बल का प्रयोग करना, धारा 127/2 किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करना इस धारा में एक वर्ष कैद या 5000 हजार का जुर्माना या दोनों दंडित किया जा सकता है,

धारा 221 सरकारी कार्य में जानबूझकर बांधा डालना इसमें दो माह की कैद या 2500 सौ० जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है, बहरहाल जेई की तरफ से तीन सभासदों पर इन इन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है।

वही सभासद दशरथ मांझी का आरोप है, कि उनके द्वारा भी तहरीर दी गई है परन्तु उनकी तहरीर पर मुकदमा नही दर्ज किया गया। जबकि जेई के खिलाफ एससी-एसटी का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए?

प्राप्त जानकारी सूत्रों के हवाले उक्त प्रकरण को लेकर सभासदों की तहरीर पर मुकदमा नहीं दर्ज किया गया तो वे और उनके समर्थक टांडा कोतवाली गेट पर धरना प्रदर्शन कर सकते है? और जब तक उनकी शिकायत पर जेई के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, वे अपना विरोध जारी रखेंगे?

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