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640वें उर्स में और भव्य होगा आयोजन, जायरीनों को मिलेंगी अधिक सहूलियतें : दरगाह इंतेज़ामिया कमेटी

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✍ रिपोर्ट: एडिटर मोहम्मद राशिद-सैय्यद, न्यूज़ टेन प्लस अम्बेडकरनगर
किछौछा, अम्बेडकरनगर ! 26 जुलाई 2025
विश्व विख्यात सूफी संत तारिकुस्सलतनत गौसुल आज़म हज़रत सैय्यद मखदूम अशरफ जांहगीर समनानी रहमतुल्लाह अलैह के 639वें सालाना उर्स के समापन पर दरगाह किछौछा की इंतेज़ामिया कमेटी द्वारा एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन शनिवार शाम लगभग 5 बजे दरगाह परिसर में हुआ, जिसमें सैय्यद फैज़ान अहमद उर्फ चांद मियां व सैय्यद खलीक अशरफ मुख्य रूप से मौजूद रहे।

सैय्यद फैज़ान मियां ने कहा कि इस वर्ष के उर्स में जिला प्रशासन ने भरपूर सहयोग प्रदान किया, जिसकी वजह से मेला शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित रूप से संपन्न हो सका।

उन्होंने जिलाधिकारीअनुपम शुक्ल, पुलिस अधीक्षक केशव कुमार, सीओ सिटी नीतीश कुमार, एडीएम डॉ. सदानंद गुप्ता, एएसपी हरेंद्र कुमार, उपजिलाधिकारी टांडा अरविंद त्रिपाठी, मेला मजिस्ट्रेट, नगर पंचायत अध्यक्षओमकार गुप्ता व अधिशासी अधिकारी का विशेष रूप से आभार जताया।

प्रेस वार्ता में बताया गया कि इस बार दरगाह कमेटी ने कई स्तरों पर व्यवस्थाओं में सुधार किया। विशेषकर सुरक्षा, पेयजल, सफाई, बिजली, पुलिस बल की तैनाती और महिलाओं के लिए विशेष महिला कांस्टेबल की व्यवस्था काबिल-ए-तारीफ रही।

640वें उर्स में होंगे और ठोस बदलाव
सैय्यद खलीक अशरफ ने बताया कि इस बार की कुछ खामियों को चिह्नित कर लिया गया है, और अगले साल यानी 2026 में 640वें उर्स के अवसर पर इन खामियों को दूर करते हुए और भव्य, सुव्यवस्थित तथा ज़ायरीनों के लिए सहूलियत भरी व्यवस्थाएं की जाएंगी।

प्रमुख रूप से –
• दरगाह के चारों ओर जैमर की व्यवस्था की जाएगी।
• परिसर में वाई-फाई, ;शुद्ध व ठंडा पेयजल, साफ़-सुथरे शौचालय, और हैंडपंप की संख्या बढ़ाई जाएगी।
• साथ ही जरूरतमंद ज़ायरीनों के लिए रैन बसेरों की भी माँग की जाएगी।

नीर शरीफ़ तालाब पर पुल की ज़रूरत
उन्होंने बताया कि 28 मोहर्रम को रस्मों की अदायगी के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री दानिश आज़ाद अंसारी से मुलाकात कर ‘नीर’ तालाब पर पुल बनाए जाने की मांग रखी गई है। अगर यह पुल बन जाता है तो दरगाह और मेला क्षेत्र तक ज़ायरीनों का आवागमन और सरल हो जाएगा।

अतिक्रमण हटाकर होगा रास्तों का चौड़ीकरण
दरगाह परिसर के आस-पास कुछ स्थानों पर अतिक्रमण के कारण ज़ायरीनों को आने-जाने में दिक्कत होती है। कमेटी ने इसे हटवाकर रास्तों को चौड़ा और साफ़ करने का प्रयास शुरू कर दिया है।

भीड़ प्रबंधन और चोरी की घटनाएं नियंत्रित
पिछले सालों की अपेक्षा इस बार चोरी की घटनाएं लगभग नहीं के बराबर रहीं। सिर्फ इक्का-दुक्का मामूली मामले ही प्रकाश में आए, जिन्हें समय रहते नियंत्रित कर लिया गया। यह सब जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस के बेहतर समन्वय का नतीजा है।

वाहनों की बेहतर पार्किंग व्यवस्था
बसखारी से मेला स्थल तक भारी वाहनों के खड़े होने से पहले जाम की स्थिति बनी रहती थी, लेकिन इस बार मेले तक मुख्य मार्ग से पहुंचना बहुत आसान रहा। यह सब अच्छी ट्रैफिक व्यवस्था और समुचित योजना की वजह से संभव हो पाया।

हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक
उर्स का यह परंपरागत आयोजन हर साल एकता और भाईचारे की मिसाल बनता है। हिंदू-मुसलमान दोनों ही समुदायों के लोग बड़ी संख्या में यहां शिरकत करते हैं और सूफी संत की शिक्षाओं को आत्मसात करते हैं। सैय्यद मखदूम अशरफ हमेशा अमन, इंसानियत और गंगा-जमुनी तहज़ीब का पैग़ाम देते रहे, और इसी परंपरा को आज भी जिंदा रखा जा रहा है।

उपस्थित गणमान्य और मीडिया
इस अवसर पर दरगाह इंतेज़ामिया कमेटी के अन्य सदस्य, स्थानीय मीडिया प्रतिनिधि और पत्रकारगण भी मौजूद रहे। सभी ने उर्स की सफल समाप्ति पर एक-दूसरे को बधाई दी और अगले साल की तैयारियों को लेकर आशावादी रुख जताया।

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