13 मोहर्रम को राजा कोट के इमामबाड़े से अमर शहीद हज़रत इमाम हुसैन के भाई हज़रत अब्बास का अलम बरामद हुआ!
रिपोर्ट मोहम्मद राशिद-सैय्यद
अम्बेडकरनगर ! टांडा में 09 जुलाई 2025 – इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 13 मोहर्रम की बीती रात्रि में मोहल्ला मीरानपुरा में स्थिति राजा मोहम्मद रज़ा कोठी के इमामबारग़ाह से मरहूम साकिर हुसैन के बेटे मोहम्मद आमिर और मोहम्मद फैसल के नेतृत्व में अमर शहीद हज़रत इमाम हुसैन (अ०स०) के भाई हज़रत अब्बास (अ०स०) का अलम बरामद हुआ। और इमामबाड़ें से निकल कर राजा के मैदान में स्थित इमामा चौक तक गया जहां से वापस राजा मोहम्मद रज़ा कोट के इमामबाड़े में समाप्त हुआ
अलम बरामद की प्रक्रिया
अलम जुलूस इमामबारग़ाह से अंजुमन हुसैनिया रजिटर्ड, अंजुमन सिपाहे हुसैनी हयातगंज, अंजुमन अब्बासिया सकरावल शिया टोला के संयुक्त अंजुमनों ने नौहा मातम और सीना ज़नी किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जायरीन उपस्थित थे जिन्होंने नम आंखों से बीबी फात्मा ज़ैहरा को उनके लाल का पुर्सा दिया।
हज़रत अब्बास की शहादत
जहां हम आपको बता दें अलम जुलूस हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 13 मोहर्रम पर बरामद हुआ। कर्बला में शहीद हुए बहत्तर शहीदों में शिया समुदाय में हज़रत अब्बास को मौला अब्बास भी कहा जाता है। वह बहुत ही ताकतवर थे और अमर शहीद हज़रत इमाम हुसैन (अ०स०) की हर बात मानते थे। कर्बला में जब आठ मोहर्रम को मश्के़ सकीना में दरिया के कनारें पानी लेने पहुंचे, तो यज़ीद की फौज़ ने हमला कर दिया।
उन्होंने मश्के़ सकीना भर लिया और वापस लौटते समय यज़ीद की फौज़ ने पीछे से वार किया, जिसमें उनका दाहिना बाज़ू कट गया, मश्के सकीना बाय बाजू में पकड़ा फौजे अश्किया ने बाय हाथ पर वार किया बाया बाजू कट गया मश्के सकीना दांतों में पकड़ा पीछे से वार किया गया
वे जमीन पर गिर गये फिर तीरो की बारिश हुई और वे शहीद हो गए और मश्के सकीना जमीन बह गया।
जहां हम आपको बता दें प्राप्त जानकारी के अनुसार मौला अब्बास फातिमा बिन्तें हिशाम जिन्हें उम्मुल बनीन भी कहा जाता है,
जिनके पुत्र थे, और शिया समुदाय के तीसरे इमाम के वे भाई थे. मौला अब्बास को शिया समुदाय में बहुत सम्मान और श्रद्धा के साथ देखा जाता है, खासकर कर्बला की लड़ाई में उनकी भूमिका के लिए। उन्हें एक बहादुर और वफादार योद्धा माना जाता है,
और उन्हें ‘अलमदार’ (ध्वजवाहक) के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि वे कर्बला में इमाम हुसैन के खेमे के ध्वजवाहक थे. साथ ही शिया समुदाय में, मौला अब्बास को साहस, वीरता, प्रेम, ईमानदारी और आत्म-बलिदान का प्रतीक माना जाता है.
जुलूस के समापन पर नज़रें मौला में अंजुमनों के लिए भोजन की व्यवस्था रही। जुलूस में मुख्य रूप से शामिल रहे मुतवल्ली राजा सैय्यद काज़िम रज़ा आब्दी नजमी भाई, राजा सैय्यद जाफर रज़ा परवेज़ भाई,
सैय्यद इशान रज़ा आब्दी, सैय्यद अलीशान रज़ा आब्दी, सैय्यद रेहान रज़ा आब्दी, इसरार हुसैन, आमिर हुसैन, फैसल हुसैन, सैय्यद मोहम्मद ज़हीर, सैय्यद मोअज्जम अब्बास,
सैय्यद हैदर अब्बास, सैय्यद शफी हसन, सैय्यद आबिद हुसैन, डॉक्टर सैय्यद आबिद रज़ा, समस्त मीरानपुरा अहले शिया और तीनों अंजुमनों के सदस्यगण उपस्थित रहें जहा पहुंचे जायरीनों ने नम आंखों से बीबी फात्मा ज़ैहरा को उनके लाल का पुर्सा दिया।