फातमा गर्ल्स कॉलेज की टीचर द्वारा छात्रा की बेरहमी से की गई पीटाई”पीड़ित छात्रा की हालत नाज़ुक”लखनऊ के एक निजी हॉस्पिटल चल रहा है इलाज
अम्बेडकरनगर ! आखिर फातमा गर्ल्स इंटर कॉलेज प्रबंधक व विद्यालय कमेटी कब गहरी नींद से जागेंगी जिसको लेकर नगर क्षेत्र की महिलाओं तथा युवाओं में आक्रोश? लिपिक, व टीचर द्वारा की गई गैरजिम्मेदाराना हरकतों से सभी हैरान है।
पूरा नगरक्षेत्र विद्यालय में घटित घटना की निंदा कर रहा है। वही विद्यालय प्रबंधन धनी होने का फायदा उठा रहे ना ही पीड़ित छात्रा की किसी प्रकार की मदद मे आगे बढ़े और ना ही 29 सालों से एक ही स्थान पर कार्यरत टीचर व लिपिक के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया ये एटिट्यूट नहीं तो और क्या है? उक्त लिखे गये लेख मै स्वयम नहीं लिख रहा हूं बल्कि नगर क्षेत्र में इकी जोर से चर्चा हो रही है।
29 सालों से छात्राओं के हाथ टूटने, उनके कानके पर्दे फटनें, जैसी घटनाओं को लिपिक व टीचर द्वारा अंजाम दिया जा चुका है? लिपिक व टीचर द्वारा इस प्रकार की घटनाएं घटित किये जाने की क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है?
बाकी घटनाएं उस समय घटित हुई थी? जब पैरेंट्स अपनी गरीबी व बेबसी मे चुप रह जाते थे या तो कुछ लोगो में जागरूकता नही थी और कुछ ये सोच कर चुप रहते थे कि स्कूल में पूर्व के समय में अध्यापक व अध्यापिकाओं द्वारा छड़ी से मारकर सज़ा देने का चलन था शायद अभिभावक यही सोच कर चुप रह गये होंगे।
बहरहाल पूर्व में जो हुआ सो हुआ हालांकि अपराध तो अपराध है। वो चाहे जितना पुराना हो गया हो उन सभी छात्राओं के अभिभावकों को अब खुलकर मैदान में आने की जरूरत है। और टीचर व लिपिक को उसके अंजाम तक पहुंचाने की जरूरत है। क्योंकि अब फातमा गर्ल्स इंटर कॉलेज की परत-दर-परत खुल रही है।
पूर्व में स्कूल में जो घटनाएं घटित हुई थी उन सब घटनाओं में टीचर व लिपिक दोनों का दोष का हाथ सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है। क्योंकि और विद्यालयों में जैसा रूल नियम है इस इंटर कॉलेज में नही है इस स्कूल मे लिपिक का सभी जगहों पर इस तरह से इंटरफेयर है जिस तरह से एक मालिक का होता है।
आखिर ऐसी क्या वजह है जो प्रबंधक व कमेटी ने लिपिक को इतनी छूट दे रखा है कि बालिकाओं पर हाथ उठाने की छूट उनके सरो को दीवार में लड़ाने की छूट बहरहाल 29 वर्ष बीत चुका है और लिपिक व टीचर स्कूल में कार्यरत है। सूत्रों से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार बताते चलू
कि 2003 में स्कूल टीचर व लिपिक के खिलाफ टाण्डा कोतवाली में भी दर्ज हुआ था मुकदमा दबाव बना कर करवा दी गई थी सुलह वही एक मामला एक और बालिका को सूत्रों द्वारा दी गई जानकारियों मे बताया गया।
कि लिपिक ने उस छात्रा को फीस के लिये स्कूल से एक किलो मीटर उसके घर भेज दिया गया था वो भी सिर्फ फीस लाने के लिये उस समय बालिका के पिता और स्कूल लिपिक से जमकर बहसी बहसा व मारपीट गाली-गलौज तक की नौबत हो गई थी वही नगरक्षेत्र के सकरावल कि निवासी एक बालिका के चेहरे पर टीचर ने नोकीली पेंसिल से लकीर मारा दिया था।
बालिका का काफी दिनों तक इलाज चला था यहा तक बताया गया की उसके माता-पिता को बालिका का विवाह करने में काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ा। लेकिन अपराध अपराध होता है।
चाहे वह बीस वर्ष बाद सामने आये या 25 वर्ष बाद बहरहाल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उस बालिका के घर का कोई सामने आया ही नही इसलिए उसको बीस वर्ष बीत जाने के बात किसी को याद भी नही रहा की कि वह प्रकरण किसके घर का था ।
बहरहाल वर्तमान समय की स्कूल टीचर व लिपिक से पीड़ित छात्रा नाज़रा पुत्रि बेनज़ीर जिसकी हालत इतनी गम्भीर है कि उसे लखनऊ के एक प्राईवेट हॉस्पिटल में इलाज के लिये भर्ती कराना पड़ गया है उक्त जानकारी पीड़ित बेनज़ीर व उनके जीजा ने – न्यूज टेन प्लस डॉटकांम – टीम से सम्पर्क कर दिया उन्होंने बताया
छात्रा को लखनऊ के एक प्राईवेट हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया गया है लेकिन अभी भी छात्रा की स्थिति गम्भीर बनी है। वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी मे ज्ञात हुआ है। की टीचर और लिपिक सभी घटनाओं के भागीदार है। टीचर यहा की रहने वाली नही है और वह स्कूल में ही निवास करती है।
चर्चा है लिपिक स्थानीय होने का अधिक फायदा उठा रहा है। बहरहाल कुछ भी हो ऐसे खतरनाक लोग जिन्हे महिलाओं का सम्मान करना नही आता ऐसे बालिकाओं के दुश्मनों की जगह सलाखों के पीछे होनी चाहिए।